...एक छोटी सी मुलाकात ..एक छोटी कहानी के साथ !!!
सवारी कोच बस लगभग मोकामा ब्रीज के पास पहुंचने को थी.. रात के करीब १२ बजने को होंगे.. दिसंबर के उस कपकपाते ठंडे महिने में भी जैसे बंद शीशे के अंदर दम घुटा जा रहा था। थोङी राहत के लिए.. मैंने खिङकी के शीशे को जरा सा सरका दिया। तभी मेरे बाजु वाले सीट पे बैठे बुजुर्ग ने मुझसे पुछा "आप भी पूर्णियाँ ही जा रहे हैं ना.." मैने कहा "जी.. हाँ.."। वो पूर्णियाँ के ही एक बङे बैंक के अधिकारी थे। बात-चित का सिलसिला कुछ आगे बढा.. उनके कुछ परिजन वर्षों पहले हमारे मोहल्ले ही रहते थे..। फिर जैसे मुझे नींद आने लगी.. उन्होने पुछा.." वर्ल्ड की सबसे छोटी कहानी जानते हो.." "जी नहीं.. जरा बताऐ.." "अंधेरी रात के सफर में खाली पङे ट्रेन के एक बॉगी में.. एक अंजान आदमी ने दुसरे से पूछा "क्या तुमने कभी भूत-प्रेतों को देखा है .." इतना कह वो अगले स्टेशन उतर गया..।" फिर पूर्णियाँ पहुंचने के दो दिन बाद उस शख्स के दिऐ फोन नंबर से भी कोई रेस्पोंस नहीं मिला..। www.vipraprayag.blogspot.in
सवारी कोच बस लगभग मोकामा ब्रीज के पास पहुंचने को थी.. रात के करीब १२ बजने को होंगे.. दिसंबर के उस कपकपाते ठंडे महिने में भी जैसे बंद शीशे के अंदर दम घुटा जा रहा था। थोङी राहत के लिए.. मैंने खिङकी के शीशे को जरा सा सरका दिया। तभी मेरे बाजु वाले सीट पे बैठे बुजुर्ग ने मुझसे पुछा "आप भी पूर्णियाँ ही जा रहे हैं ना.." मैने कहा "जी.. हाँ.."। वो पूर्णियाँ के ही एक बङे बैंक के अधिकारी थे। बात-चित का सिलसिला कुछ आगे बढा.. उनके कुछ परिजन वर्षों पहले हमारे मोहल्ले ही रहते थे..। फिर जैसे मुझे नींद आने लगी.. उन्होने पुछा.." वर्ल्ड की सबसे छोटी कहानी जानते हो.." "जी नहीं.. जरा बताऐ.." "अंधेरी रात के सफर में खाली पङे ट्रेन के एक बॉगी में.. एक अंजान आदमी ने दुसरे से पूछा "क्या तुमने कभी भूत-प्रेतों को देखा है .." इतना कह वो अगले स्टेशन उतर गया..।" फिर पूर्णियाँ पहुंचने के दो दिन बाद उस शख्स के दिऐ फोन नंबर से भी कोई रेस्पोंस नहीं मिला..। www.vipraprayag.blogspot.in
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