..दिवालों पे उकेरते अक्षरों के साथ मन ही मन बड़बड़ाता रणचंडी और फिर दूर से आती ट्रेनों की घड़घड़ाहट को सुन खिड़की से दूर ताकने लग जाता। काफी दिनों तक पीछा किया था इनका। अपने नए बनते कद के सफर में मुझे पिंजर पुराण के मिले उस घुमंतु आदम कद के कैद से तब तक मुक्ति नहीं मिल पाती.. जब तक मैं उसे ढूंढ ना लेता। ये मेरा सफर था.. और हर बार जैसे मुझे लौट आना ही होता था राजगढ के उस मीठे जल को झाँकने।
सर हमेशा कहा करते थे लाईफ की इंजीनियरिंग प्रोसेस लर्निंग ही तो है.. यही जिंदा किऐ रखती है.. फिर जीतना डूब सको.. खुद से डूबने तक या औरों के डूबाने तक। सीखने सीखाने को मिलता ही रहेगा।
..continued..
सर हमेशा कहा करते थे लाईफ की इंजीनियरिंग प्रोसेस लर्निंग ही तो है.. यही जिंदा किऐ रखती है.. फिर जीतना डूब सको.. खुद से डूबने तक या औरों के डूबाने तक। सीखने सीखाने को मिलता ही रहेगा।
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