Thursday, 26 September 2013

"आज फिर मंन चला बक्सर की ओर....!!!"


एक बार फिर मौसम ने फिर अपनी पुरानी तान छेड़ी है| पिछले साल भी कुछ ऐसा ही था, जब मैं बक्सर के एक इंजिनियरिंग कॉलेज को जाय्न किया था| याद है जब पहली बार इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था| सुबह के ७/२० में एक पस्संजेर ट्रेन मिली थी दानापुर स्टेशन से, टिकेट मूल्य बस १० रुपये और सफ़र लगभग १०० किं.मी. का| जिस स्टेशन पे उतरना था, वो भी कुछ ज़्यादा ही इंग्लीश सा था... नाम था ट्रूलिगंज... किसी इंग्लीशमॅन के नाम पे था| इस नामकरण का भी अपना एक इतिहास है| मेरे इंजिनियरिंग यात्रा के रिसर्च एंड डेवेलपमेंट की यह तीसरी सीढ़ी थी मानो... ठीक बिल्कुल राज कपूर की तीसरी कसम की तरह या शम्मी कपूर की तीसरी मंज़िल की तरह.... इनोसेन्स एंड सस्पेनस से भरपूर..| ट्रेन से आते वक़्त ही लगा मानो मुझे कोई अदृश्या शक्ति खिच रही है| आज का विकाश भी मानो यहाँ आने के लिए शीशक रहा हो| प्रकृति आज भी पुरानी चादर लपेटे हुई सी थी| ट्रेन बिहटआ कोईल्वर आरा होते हुए आगे की ओर बढ़ रही थी और मुझे मेरे मंज़िल को पाने की ललक अपने चरम पे थी| फिर कुछ छोटे स्टेशन को क्रॉस करते हुए ट्रेन ट्रूलिगंज जा पहुँची| स्टेशन छोटा था लेकिन लगा जैसे आधी ट्रेन खाली हो गयी उस जगह| फिर एक जीप में बैठ मैं उस इंजिनियरिंग कॉलेज की ओर जाने लगा| स्टेशन से वो जगह कुछ ४-५ कि. मी. का रहा होगा| लेकिन इसी दूरी ने मुझमें जो छाप छोड़ी.. उससे शायद ही मैं कभी मुक्ति ले पाऊँ| पूरी तरह से ग्राम्य-जीवन से भरपूर, और डेग डेग पे ब्रम्‍ह-स्थलों का मिलना... जैसे ना जाने कब से ये दुस्साहसी ब्रम्हचर्यों के आहमन को आतुर रही हो| ब्रम्‍ह-स्थलों की महिमा मैं कुछ चंद पंक्तियों में नहीं कर सकता|
फिर इंजिनियरिंग कॉलेज पहुँचने पे बहूत कुछ अद्भूत ही था| डेवेलपमेंट के आज के युग में आप सोच ही नहीं सकते की... कोई इंजिनियरिंग कॉलेज खोलने का दुस्साहस भी करेगा ऐसे वीरान जंगलों के बीच...| फिर मेरा सामना हुआ... वहाँ के डाइरेक्टर से जो भारत सरकार के डी. आर. डी. ओ. में चीफ साइंटिस्ट पद पे कार्यरत थे| मेरे प्रोफाइल को देख उन्होने सहसा कह डाला की आप ऐसे जगह की तलाश कर रहे थे... उन्हें मेरे रेज़्यूमे में अंडर-प्रीविलेदगेड वर्ड बहुत पसंद आया था| इंटरव्यू के बाद मैने एक क्लास भी ली... बड़ा ही सुखद अनुभव था ये.....

विप्र प्रयाग घोष



www.vipraprayag1.blogspot.in
www.vipraprayag2.blogspot.in

No comments:

Post a Comment