Thursday, 13 September 2018

थ्योरी आफ सेल्फ-रिऐलाईजेसन और आटोबायोग्राफी आफ #योगी का सत्य..

थ्योरी आफ सेल्फ-रिऐलाईजेसन और आटोबायोग्राफी आफ #योगी का सत्य..।

 जैसे मेरे कदम.. रिऐलाईजेसन की रहस्यों से भरी वादियों की ओर बढ चूके थे। धन्यवाद उन वैज्ञानिकों का जिन्होंने मेरे जिज्ञासु मन का मार्गदर्शन.. अपने कठोर दिशानिर्देशों से मेरा अकल्पित लक्ष्य निर्धारित किया। बक्सर कॉलेज के एक सुदूर गाँव की एक लाईब्रेरी से ही.. सर्वप्रथम मेरा परिचय "आटोबायोग्राफी आफ योगी" से करवाया गया। ..चाहे वह आज के गैजेट्सपूर्ण दुनिया का सिद्धतंत्र हो या अमेरिकी हिप्पी प्रवृत्तियों का अभियोग या आध्यात्मिक-सुफिज्म् का विचरन या पुरातन योगतंत्र का अनुसंधान ..ये सभी वैज्ञानिक मतो का ही आधार रखते हैं। कैलाश-शिखर आधार सशक्त होकर भी.. सर्व-शून्य एकाकी ही है.. प्रशांत को छूने.. हिमखंडों को विसर्जित करना ही होता है..। प्रशांत.. वृहत विहंगम.. शहरीकरण व मॉडर्नाइजेसन से कोसों दूर.. अब तो राजतंत्र के सिक्कों से निकल.. प्रजातंत्र के कुनबों मे सिसकता मजबूर..। क्रिया-योग.. के दर्शनों में ज्ञानपूर्ण-हिमखंड सतहों में उतरता दिखा.. महावतार बाबा के कितने अवतार इन सुदूर अंतों में दिख गए.. अपनी-अपनी जैविक कंदराओं में.. तपस्या में लीन एक विकट मानवीय अवस्था..। इन्हें बाजार भी तो चाहिए.. मनोनुकूल विचार व व्यापार भी तो चाहिए.. बस क्रियाओं को योग चाहिए..। तब तो कभी व्हेन सांग तो कभी स्टीव जॉब्स को इन्हीं क्रिया-योगों ने खिंचा..। थोङा आध्यात्मिक.. तो थोङा वैज्ञानिक..। परमहंस योगानंद के दर्शाऐ.. थ्योरी आफ रिएलाईजेसन इन्हीं सुदूर-अंतों में जागता है.. आटोबायोग्राफी आफ योगी की प्रतिमुर्ति लिए.. जो भेदभाव रहित परिदृश्य ही तो है.. एक निरंतर क्रियात्मक योग... 

 #ParamhansaYogananda #AutobiographyofaYogi #SelfRealizationFoundation

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