आध्यात्मिक योग श्रृंखलाओं की छाँव में..
२०१२-१३ में बक्सर इंजीनियरिंग कॉलेज के वन प्रांगण में रहकर ही भारतीय अध्यात्म की एक विशिष्ट कंदराओं में भ्रमण का अवसर मिल पाया। जहाँ पुरातन सभ्य समाजों के क्षत्रिय जड़ पुरुषों के निर्देशन पे अभिनीत होने की संतुष्टि मिली तो फिर मेरे ज्ञान व शोधपूर्ण अभ्युदय को भी जीवन आधार मिलता चला गया। बांग्ला पृष्ठभूमि से जुड़े इन महान आत्माओं को भारतीय दर्शन के अनेकानेक रुपों में विचरते देख पाया। सर्वप्रथम इन समादेष्टाओं से मेरा साक्षात्कार परमहंस योगानन्द की पुस्तक "आटोबायोग्राफी आफ योगी" के माध्यम से ही सृजित हो पाया। फिर पटना प्रवास में एक भूमिहार वर्गीय वृद्ध सज्जन की पुष्टि वृतांतों में भी इन्हीं महात्माओं की एक सुसज्जित श्रृंखला स्थापित मिली तो कल फिर पूर्णियाँ आवास पे एक वैश्य वर्गीय अधिवक्ता को भी दृश्य सहित इन्हीं योगपूरुषों की वकालत करते देख पाया। इन भावों व इन संस्मरणों से जुड़ी गुत्थियों में खुद को पिरोते देख पाना एक आश्चर्य से कम नहीं.. फिर कहीं मैं इस श्रृंखला का एक नया ध्वज वाहक तो नहीं।
🚩
🚩
🚩
#भारतीय #अध्यात्म व #योग..



#भारतीय #अध्यात्म व #योग..
www.vipraprayag.blogspot.in
No comments:
Post a Comment