Thursday, 13 September 2018

ई विम्बल्डनो.. तनिक हरी-भरी सी है..

   उ वक्ति...हम सब लईकन बचवन सब बरामदे में बैठ एकट्ठे पढाई करे रहे ..रात के ठीक साढे सात बजे एगो मास्टर साहेब जे ट्यूशन पढावे खातिर डेली आवत रहे। चित्रहार वाला रोज तो ठीक साते बजे आव जात.. एक घंटा पढात फिर नैका रंगीन टीवी मा फिल्मी गीतमाला वाला चित्रहार तो टिकटिकी बाँध देखत रहे..। ई बात १९८९ की है.. महाभारत देखे खातिर हमरे घरे रंगीन टीवी खरदाए रहा। एक दिन बोले.. बहुत इमपोटेंट मैच है.. लेकिन किरकेट के मैच त दिने होत है.. ई शाम वकती कौन मैच होवे रहा..। बोले टेनिस के मैच है.. सटेफी ग्राफ के मैच है..। टीवी खोले तो ठिक्के में मैच आवत रहा.. देखे में खुब्बे सुंदर रहा.. एक दम हरा-भरा..। ई देखो.. दुई गो लङकी मैच खेले रहे.. हम त एकदम मेरा नाम जोकर के राजकपूर बन गिए.. चोर मन लिए..। अब ऊ दिन के बाद ऐसन जादू चढा की अभीयो नहीं उतरा है..। अब त नैका खेलाङियो सब ढेरी न आ गया है.. लेकिन हमर भेवरेट रहे.. मोनिका सेलीस.. आरो सिटिफन एडबर्ग.. आरो खेलाङी सब रहे ऊ बकती.. बोरिस बेकर.. ईवान लेंडल.. जीम कोरियर.. फिरो आंद्रे आगासी ओर पीट सैमप्रासो के जमाना रहा..। ..लङकी सबमा मारटीना नबरातीलोबा.. गैबरिला सबातीन.. अरांता सांचे बिकारीयो भी खूब सुंदर खेले रहे..। ..लेकिन एक दिन जो समाचार देखे ..ऊ दिन से हमरा मुडे खराब हो गिया.. देखे की मोनिका सेलीस के पीठ में कोई चाकूए घोंप दिया..।



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