मेरी आवाज को दर्द के साज को तु सूने ना सूने..
...पूरा शरीर तेज आग सा तप रहा था ..बिस्तर पे पङे-पङे अब तो तीन दिन से ज्यादा हो गए थे। घर से इतनी दुर परदेश में आखिर कौन सुध ले हमारी..। वो एक दीदी है.. जिनके घर से खाने की टिफिन आती है.. कहने पे.. थर्मस भर के.. गर्म हॉर्लिक्स और ब्रेड भी सुबह शाम आ जाती है.. और दिन में खिचङी भी..। फिर ये सब क्या है.. इतने सारे सिगरेट के जले बड्स कहाँ से आए..। लाख छुपाने पे भी निकल ही आते है.. ये मुँहलगे.. हाल पुछने। रविशंकर भी तो कह गया.. कॉलेज नहीं आते हो तो मन ही नहीं लगता है दोस्त... और उनका ये माफीनामा छोङे गया..। अच्छा हुआ.. जो मुकेश के ये दर्द भरे नगमें साथ थे.. आवाज को जिंदा किए.. कुछ युँ रिझाते.. "मैं तो हर मोड़ पर तुझको दूंगा सदा..." इन्हीं बहुमूल्य आभारों के साथ मेरे पसंदीदा व स्वर गायक मुकेश के जन्म-दिवस पे भाव-भीनी श्रद्धांजलि..।
#Mukeshwww.vipraprayag.blogspot.in
...पूरा शरीर तेज आग सा तप रहा था ..बिस्तर पे पङे-पङे अब तो तीन दिन से ज्यादा हो गए थे। घर से इतनी दुर परदेश में आखिर कौन सुध ले हमारी..। वो एक दीदी है.. जिनके घर से खाने की टिफिन आती है.. कहने पे.. थर्मस भर के.. गर्म हॉर्लिक्स और ब्रेड भी सुबह शाम आ जाती है.. और दिन में खिचङी भी..। फिर ये सब क्या है.. इतने सारे सिगरेट के जले बड्स कहाँ से आए..। लाख छुपाने पे भी निकल ही आते है.. ये मुँहलगे.. हाल पुछने। रविशंकर भी तो कह गया.. कॉलेज नहीं आते हो तो मन ही नहीं लगता है दोस्त... और उनका ये माफीनामा छोङे गया..। अच्छा हुआ.. जो मुकेश के ये दर्द भरे नगमें साथ थे.. आवाज को जिंदा किए.. कुछ युँ रिझाते.. "मैं तो हर मोड़ पर तुझको दूंगा सदा..." इन्हीं बहुमूल्य आभारों के साथ मेरे पसंदीदा व स्वर गायक मुकेश के जन्म-दिवस पे भाव-भीनी श्रद्धांजलि..।
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