..अब वहाँ पे मुझे कौन पहचानेगा।
..कॉलेज की सीढीयों से उतरते वक्त क्यों लगा था
मुझे कि अब यहाँ पे मुझे कौन पहचानेगा।
..एक एक कर कितने चेहरे खो जाने पर क्यों लगा था
मुझे कि अब यहाँ पे मुझे कौन पहचानेगा।
..कविता अपने अंत पे लिपट क्यों रो पङी थी कि अब
यहाँ पे मुझे कौन पहचानेगा।
..दृश्यांतरों में खोया जीवन क्यों सहसा सिसक पङा कि
अब और मुझे कौन पहचानेगा।
..घाट लगते नौके को देख क्यों कराह उठा मँझधार कि
अब मुझे कौन पहचानेगा।
..छुटते घाटों को देख क्यों रो पङा मोक्षधाम कि अब
यहाँ पे मुझे कौन पहचानेगा।
..जीवनचक्र फिर से जाग पङा ये देख कि अब वहाँ पे
मुझे कौन पहचानेगा।
...आखिर मुझे कौन पहचानेगा।
www.vipraprayag.blogspot.in
..कॉलेज की सीढीयों से उतरते वक्त क्यों लगा था
मुझे कि अब यहाँ पे मुझे कौन पहचानेगा।
..एक एक कर कितने चेहरे खो जाने पर क्यों लगा था
मुझे कि अब यहाँ पे मुझे कौन पहचानेगा।
..कविता अपने अंत पे लिपट क्यों रो पङी थी कि अब
यहाँ पे मुझे कौन पहचानेगा।
..दृश्यांतरों में खोया जीवन क्यों सहसा सिसक पङा कि
अब और मुझे कौन पहचानेगा।
..घाट लगते नौके को देख क्यों कराह उठा मँझधार कि
अब मुझे कौन पहचानेगा।
..छुटते घाटों को देख क्यों रो पङा मोक्षधाम कि अब
यहाँ पे मुझे कौन पहचानेगा।
..जीवनचक्र फिर से जाग पङा ये देख कि अब वहाँ पे
मुझे कौन पहचानेगा।
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