Friday, 14 September 2018

एक नायाब बरसाती टेस्ट.. रेनकोट..

देवदास के बाद भागलपुर से निकलती एक नायाब बरसाती टेस्ट.. रेनकोट।
..कहीं मैं एक फिल्म समीक्षक तो नहीं ..लेकिन हाँ.. भारतीय परिदृश्यों में घुले कुछ ऐसे कथामृतों को भरसक जीने की कोशिश जरुर करता हूँ। ऐसी ही अनूठे कोशिशों से बनी एक फिल्म रेनकोट भी थी.. जिसे वर्षों पहले देख चूका हूँ.. और फिर बरसात आते मुझ जैसे मनुवादी को एक बार कुरेद जरुर जाती है ..और खासकर इसलिए भी कि ये भागलपुर की कथानक पृष्ठभूमि लिए कलकत्ते की खामोश सी बंद एक चहारदिवारी में जा बसती है। मैं भी बस इसका ही इंतज़ार करता.. बाहर बरसाती मौसम झमाझम.. और हाथ में गरमागरम प्याज की कचरी.. उत्कृष्ट अभिनय मनभावन निर्देशन.. सच झूठ की लुकाछिपी और दुर जाता प्रेम। #Raincoat



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