Friday, 14 September 2018

आत्मीय संबोधन की अमृत..

हैप्पी फ्रेंडसिप डे पे निकलती आत्मीय संबोधन की अमृत..।

 और ये संबोधन एक विश्वास है.. एक अनमित जीवन जिसके आसपास एक सुखद उन्मुक्त सांसे चलने सी लगती है। सारे विकारों से मुक्त अलंकार ही अलंकार..। राजश्री प्रोडक्शन की दोस्ती फिल्म सहसा याद आ जाती है। बचपन के दिनों में देखी ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म.. हर एक गानों में जादुई तान दोस्ती का। आज के दौर के नए पीढ़ी के युवा भले ही ऐसे सजीव चित्रों से परे हों लेकिन आज भी ऐसे जीवन जीवित जरुर हैं। मैं देख नहीं सकता गा तो सकता हूँ.. मैं बैसाखी के साथ ही सही राह तो बता सकता हूँ.. दोस्त आसपास ना सही दोस्ती के गीत गूनगुना तो सकता हूँ.. जी तो सकता हूँ। दोस्ती के ऐसे प्यार शायद कभी मरते नहीं.. जिंदा रहते हैं ताउम्र.. मेरी दोस्ती मेरा प्यार बनकर। #Dosti

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